Balkavita television by mainudeen kohri

बाल कविता

टेलीविजन

 

Balkavita television by mainudeen kohri

मैं  हूँ बच्चों   टेलीविजन ।

मेरा कोई  नहीं है सीजन ।।


मैं चलता रहता हरदम ।

भुला देता हूँ सारे ग़म ।।


खबरें सुनो या नाटक देखो ।

अपनी पसंद के चैनल देखो ।।


कार्टून चाव से देखे बच्चे बूढ़े ।

नेताओं के भाषण सच्चे झूठे ।।


गीत - गज़ल- फिल्में बहस ।

खोज खबर देखें तहस नहस ।।


आओ देखें अजब गजब की बातें ।

मैं चलता ,दिन देखूं  ना रातें ।।

स्वरचित / अप्रकाशित रचनाएं


*मईनुदीन कोहरी नाचीज़ बीकानेरी

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