बदल रही है फिर भी दुनिया
दुनिया अक्सर खिलाफ रही है
नये बदलाव के,
नयी सोच को किया जाता रहा है
यहां हतोत्साहित,
स्थापित ढर्रे पर ही चलने की ज़िद्द
रही है इसकी,
फिर भी, बदली है यह समय के हाथों
मजबूर होकर
और नये एवं प्रासंगिक विचारों की
यही सफलता है।
दुनिया वालों का अक्सर विश्वास रहा है
भेड़ चाल में,
अलग रास्ता अपनाने वालों का बहुधा
उड़ाया जाता रहा है मजाक,
दूसरे लोगों की देखा-देखी करने की ही
प्रवृत्ति रही है इसकी,
फिर भी, बहुत से लोगों ने खोले हैं
नये क्षितिज के द्वार
और नवीन राहों के अन्वेषण की इन्सानी
जिज्ञासा की यही सफलता है।
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314
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