यूं ही नहीं ये तिरंगा महान है।
यूं ही नहीं ये तिरंगा महान है।
यही तो मेरे देश की पहचान है।
हो गए कितने ही प्राण न्यौछावर इसके सम्मान में,
आज भी इस तिरंगे के लिए सबकी एक हथेली पर जान है।
मेरे दिलो जिस्मों जान से ये सदा आती है,
ये तिरंगा ही तो मेरा ईमान है।
मिट गए देश के खातिर कैसे -कैसे देश भगत यहाँ,
गांधी,तिलक,सुभाष व जवाहर जैसे फूल इस तिरंगे की पहचान है।
भूला नहीं सकता कभी ये देश इन वीर जवानों को,
भगत सिंह,राज गुरु,सुखदेव जैसे वीर जवान इस तिरंगे के लिए हुए कुर्बान है।
घटा अमृत बरसाती है , फिज़ा गीत सुनाती है, धरा हरियाली बिछाती है,
कई रंग कई मज़हब के होकर भी सबके हाथो में, एक ही तिरंगा और सबकी ज़ुबान पर एक ही गान है।
उत्साह की लहर शांति की धारा बहाती है नदियां,
हम भारतीय की पहचान बताती ये धरती सुनहरी नीला आसमान है।
करते है वतन से मुहब्बत कितनी ना पूछो हम दीवानों से,
वतन के नाम पर सौ जान भी कुर्बान है।
एक ही तिरंगे के साये में कई तरह के फूल खिलते व खुशबू महकती है,
रंग,नस्ल, जात, मज़हब भिन्न- भिन्न होकर भी एक ही धरा के हम बागबान है।
लिखी जाती है मुहब्बत की कहानियां पूरी दुनिया में,
मगर मुहब्बत का अजूबा ताज को बताकर मिलता हिंदुस्तान को स्वाभिमान है।
ज़मी तो इस दुनिया में बहुत है पैदा होने के लिए,
"तबरेज़" तू खुशनसीब है जिस ज़मी पर पैदा हुआ वो हिंदुस्तान है।
तबरेज़ अहमद
बदरपुर नई दिल्ली
Comments
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com