सबका अंदाज बदल गया है
पहले दिख जाते थे
बच्चे आस-पड़ोस, गली-मोहल्ले में
दिन-दिन भर खेलते कूदते शोर मचाते,
मोबाइल के आने से
अब उनका व्यवहार ही बदल गया है,
दुबके रहते हैं घर के
किसी कोने में मोबाइल पकड़कर,
बाहर जाकर साथियों के साथ खेलने का
आजकल रिवाज बदल गया है।
पहले दिख जाते थे
लोग अपने घर-परिवार में इकट्ठे होकर
देर तक कई मामलों पर चर्चा करते,
मोबाइल के आने से
अब उनका व्यवहार बदल गया है,
एक ही कमरे में बैठे परिवार के सदस्य
विशेष दिनों की बधाई देते हैं
सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को,
आपस में विचारों के आदान-प्रदान का
आजकल अंदाज बदल गया है।
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314
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