*लेना-देना
लेना देना लगा है जग में,
क्या तू साथ ले जायेगा।
जैसा कर्म करेगा वैसा प्रारब्ध पायेगा,
सूझ-बूझ रख कर्म करे जा जग में ।
सब ईश्वर की माया है ,
जो देगा वो लेगा जग से।
यही तो लेना-देना जग में ,
स्व-नियंत्रण रखकर जीना।
भौतिकता में न जकड़ना ,
आत्मबोध को पाना है।
भ्रमित न जग में तू भटकना ,
सत्कर्मों को संजो कर बढना।
सृष्टि का नियम यही है ,
जो लेगा जग से वो देना है।
यही तो लेना-देना जग में,
हर कर्म का फेरा है जग में।
सुख बाँटोगे,सुखी रहोगे,
दुःख का दलदल दर्द-दरिया।
लेना-देना जग में बंदे ,
साथ साथ ही जाना है।
------अनिता शर्मा झाँसी
-------स्वमौलिक रचना
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