अफीम की अर्थव्यवस्था और अस्थिरता से जूझता अफगानिस्तान--
अफगानिस्तान के लिए अंग्रेजी शब्द का "AAA" अल्ला ,आर्मी, और अमेरिका सबसे बड़ी राजनैतिक अस्थिरता की समस्या का प्रमुख कारण रहा है। दक्षिण एशिया में बसा यह देश हिंदू कुश पर्वत दर्रे के सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए आज के प्रमुख राजनैतिक संकट की समस्या से जूझ रहा है। जातिगत विविधता में एकता का अभाव लिये अफगानिस्तान की प्रमुख जातियां पख्तून ,उजबेक,ताजिक, हजारा, पठान यहां पर सदैव आपस में ही संघर्षरत रही जिसका दुष्परिणाम अफगानी राष्ट्रवाद के लिए सदैव खतरनाक साबित हुआ। पूरे विश्व में 90% अफीम की तस्करी करने वाला अफगानिस्तान अपने विकास से कोसों दूर, हथियारों का जखीरा तालिबानियों ने जमा करना प्रारंभ किया। जिस पर बुरा असर अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था पर पड़ा। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ ने भी अफगानिस्तान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई सिर्फ सोवियत संघ ने अपने हाथ अफगानिस्तान में जलाए सिर्फ आंशिक सफलता के अलावा कुछ नहीं प्राप्त हुआ। 1989 में सोवियत संघ को अफगानिस्तान छोडने के बाद अमेरिका के नेतृत्व में नाटो की सेनाओं ने 2002 में अफगानिस्तान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई लेकिन तालिबान का वर्चस्व समाप्त नहीं कर पाये, उनका पूरा प्रभुत्व समाप्त करने में अमेरिका भी नाकाम ही रहा। भौगोलिक इतिहास में अफगानिस्तान की भूमिका प्राचीन काल से व्यापारिक दर्रो के उपयोग के कारण महत्ता बनी रहे। आज राजनैतिक अस्थिरता से जूझते हुए अफगानिस्तान अपने असंख्य समस्याओं को लिए शांति को तरस रहा है। अपने ही देश में वहां के नागरिक शरणार्थी बने हुए हैं, यह कैसी राजनीति की विडंबना है। क्या इसका जिम्मेदार नाटो की सेनाओं को ठहराया जा सकता है ..?। एशिया महाद्वीप मे यदि हथियारों की होड़ समाप्त हो जाए तो अफगानिस्तान अफीम निर्यात से एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा "सकल घरेलू उत्पाद" मानक वाला देश बन जाएगा।
मौलिक लेख
सत्य प्रकाश सिंह
केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज प्रयागराज उत्तर प्रदेश।
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