तुम मेरे हो
कहाँ खो गये गिरधारी।
मोर मुकुट,बंसीवाले।
ग्वाले ,गोपियाँ सब रीझे,
पर....तुम मेरे हो गिरधारी।
कब से बाँट निहार रही हूँ,
ओ राधा के दिल की धड़कन।
मोर मुकुट नटखट मोहन ,
माँ जसोदा के प्यारे।
मीरा पुजारिन तेरी मोहन,
लोक लाज तज शरण तिहारे आई।
पर तुम बस मेरे हो ।
मैं भक्त अदना सी हूँ मोहन,।
पर तुम मेरे प्यारे मोहन।
बहुत अवगुण भरे हैं
मुझमें,
तुम स्वीकारो मेरे प्यारे गिरधारी।
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तुम मेरे हो,मैं तुम्हारी,
---अनिता शर्मा झाँसी
----मौलिक रचना
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