ठोर
बेटियों पर अत्याचार, चारों तरफ हैं फैलें ठोर ।
जाहिलों को विद्वान, तो विद्वानों को समझे ठोर ।।
रक्षा को जन रखे हथियार, तो पंछी रखते ठोर ।
कोई तरसे नींद रातभर,और कोई करते ठोर ।।
जुल्म हो रहा चारों और, इंसां को हैं समझे ठोर ।
किसी को मिलती सूखी रोटी,किसी को मिलते ठौर ।।
किसी को मिले ना रैन बसेरा, किसी को मिलता ठौर ।
किसी को मिले पारितोषिक,ना बेगानों को मिलता ठौर ।।
कोई सहारा लेता झुठ का, "स्वरूप" रहे हैं सच की ठौर ।
देशवासियों जाग उठो,वरना नहीं बचेगी अपनी ठौर ।।
ठोर = हैवान ,ग्वार,चोंच,खर्राटे,जानवर
ठौर = मीठा पकवान,महल,अवसर,साथ,जगह
==== R.S.meena Indian✍️ ====
Comments
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com