Thor Kavita by R.S. meena

ठोर

Thor Kavita by R.S. meena


बेटियों पर अत्याचार, चारों तरफ हैं फैलें ठोर ।

जाहिलों को विद्वान, तो विद्वानों को समझे ठोर ।।


रक्षा को जन रखे हथियार, तो पंछी रखते ठोर ।

कोई तरसे नींद रातभर,और कोई करते ठोर ।।


जुल्म हो रहा चारों और, इंसां को हैं समझे ठोर ।

किसी को मिलती सूखी रोटी,किसी को मिलते ठौर ।।


किसी को मिले ना रैन बसेरा, किसी को मिलता ठौर ।

किसी को मिले पारितोषिक,ना बेगानों को मिलता ठौर ।।


कोई सहारा लेता झुठ का, "स्वरूप" रहे हैं सच की ठौर ।

देशवासियों जाग उठो,वरना नहीं बचेगी अपनी ठौर ।।


ठोर = हैवान ,ग्वार,चोंच,खर्राटे,जानवर

ठौर = मीठा पकवान,महल,अवसर,साथ,जगह


     ==== R.S.meena Indian✍️ ====

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