शिव के गुण गाउं
हर हर भोले बिन तेरे दुनियां डोले
तु योगी, तू नृत्यकार तूही है संगीतज्ञ।
तू ने ही रचा हैं योग को
तूने ही उसी का ध्यान लगाया हैं।
ओ हर हर भोले हम क्या बोले
गुण तेरे तो जग गाता हैं।
तेरी आराधना करते है नर– नारी
और पूजा हैं तुम्हे गौरा संग।
न ही हैं कोई सिंगार तेरा
न ही हैं कोई गहना।
तेरे हाथों में हैं डमरू
और त्रिशुल हैं साथ में।
भस्म धारित हैं तन तेरा
और गले में सर्प हैं धरा।
मृगछाला हैं वस्त्र तेरे
और गवेंद्र की सवारी हैं।
अर्धनारेश्वर हैं तू
गौरा को भी तन धरी हैं।
सर्व गुनी तू फिर भी
हैं योगेश्वर तू ही।
कंठ धरा हैं विष
फिर भी अधर पे हैं मुस्कान।
तू ही हैं जग का कल्याण दाता
तूने ही जग को तारा हैं।
हे भोले तू ही है आराध्य सबका
जग ने तुझे ध्याया हैं।
कैलाश के निवासी हो तुम
तुझे नमन हो बार बार।
क्रोध तेरा हैं विनाशक
फिर भी तू पालनहारा हैं।
आया हैं सावन फुहारे ले कर
तेरी भक्ति के दिन लाई हैं।
सावन तुम आते हो हर साल
भोले को भी संग में लाते हो।
जयश्री बिर्मी
निवृत्त शिक्षिका
अहमदाबाद
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