शीर्षक- सतरंगी सपने
सतरंगी सपने सजाओ मेरे लाल
दिखा दुनिया को करके कमाल
अनवरत रूप से करो प्रयास
मंजिल मिलेगी रखो विश्वास
गगन चूमेगी सफलता तेरी
जयकारा होगी दुनिया में
धीरज धारण करना होगा
विघ्न- बाधाओ को टपना होगा
उतार चढ़ाव की है जिन्दगी
मुसीबतों से टकराना होगा
आँधी आए या तूफान
जोश जुनून का बना हथियार
देश का कर्ता- धर्ता है तु
पहचान बन खुद करो धमाल
लक्ष्य बनाओ दृढता पूर्वक
डिगा न सके प्रण को कोई
अविचल होकर खड़े रहो तुम
पग चूमेगी मंजिल तेरी
बस करके दिखलाओ लाल
दिखा दे दुनिया को कमाल
स्व रचित
डॉ इन्दु कुमारी
हिन्दी विभाग
मधेपुरा बिहार.
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