Pyar ke rang by Indu kumari

 शीर्षक- प्यार के रंग

Pyar ke rang by Indu kumari


सावन की पहली फुहार

प्रकृति में  फैले    हैं

हौले- हौले मंद बयार

प्यार के रंग घोले हैं

सुहावनी- सी काली घटा

इधर- उधर ही डोले हैं

रुक रुक कर बरस रही 

छम छम धुन सुरीले हैं

पूरे शवाब पर है मौसम

ये सावन के झूले हैं

इश्क मुहब्बत के रंगो ने

प्रेमियों के सर चढ़ बोलें हैं

कामदेव संग रति रानी

दिल उनके हिंडोले हैं

हरी साड़ी में लिपटी 

अवनि रंग- रंगीले हैं

प्रिय मिलन है अनोखी

प्रियतम तो अलबेले हैं

कौतूहल होते हैं मन में

प्यारे तेरे बात रसीले हैं

        स्व रचित अप्रकाशित रचना

डॉ. इन्दु कुमारी

               हिन्दी विभाग

मधेपुरा बिहार

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