नजर नजर का अंतर
भ्रष्टाचार जो हमारी नजर
में है,
उससे पैसा बनाने वालों की नजरों में
रोजगार है।
मंहगाई जो हमारी नजर
में है,
उससे पैसा बनाने वालों की नजरों में
व्यापार है।
दंगा, सांप्रदायिकता जो हमारी नजर
में है,
उससे वोट बटोरने वालों की नजरों में
अवसर साकार है।
राजनीति जो हमारी नजर
में है,
उससे फायदा उठाने वालों की नजरों में
कारोबार है।
झूठ,फरेब जो हमारी नजर
में है,
उससे फायदा उठाने वालों की नजरों में
जरूरी व्यवहार है।
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314
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