न हो दुश्मनी अगर
न हो दुश्मनी
दो देशों के बीच अगर
तो कई नेताओं और दलों की
राजनीति में दाल न गले,
जनता को हमेशा
इक-दूजे के खिलाफ
भड़काते रहकर
सत्ता में बने रहने की
कोई उनकी चाल न चले,
ऐन चुनाव के वक्त
देश पर खतरे का प्रचार कर
विकास, रोजगार, भ्रष्टाचार
जैसे जरूरी मुद्दों को
नेपथ्य में धकेलने का
स्वार्थी कारोबार न चले,
सीमाओं पर लगातार बढ़ते
तनाव के बीच
किसी मां का लाल
गोलाबारी का शिकार न बनें,
न हो दुश्मनी
दो देशों के बीच अगर
तो जमीन के चंद टुकड़ों की खातिर
इंसानों की बलि का यह
घिनौना व्यापार न चले।
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314
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