शीर्षक -कवि संदेश
दिल हाथ में लिए घूमते हो,
ऐ मेरे देश के युवा कवि।
तु रौशनी फैलाने आए हो
जैसे आसमानों में रवि ।
क्यूं श्रृंगारिकता में भूल रहे
कर्तव्य परायणता को अभि
मची है जग में हाहाकार
क्यों बिगार रहे हो छवि
नजरें टिकी है सबकी तुझ पर
ऐ मेरे देश के युवा कवि
चला कलम उजागर कर दे
ढेर समस्या की झड़ी
दिखा राह दीपक बन जा
ऐ मेरे देश के भावी कवि
प्रेम रस में भींगा -भींगाकर
सच की आईना दिखा अभि
हर पहलू से अवगत करा दे
ऐ मेरे देश के युवा कवि।
स्व रचित
डॉ. इन्दु कुमारी
हिन्दी विभाग मधेपुरा बिहार
9431084142
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