कौन किसके लिए?
इस देश में
जनता, जो वोट देती है
अपनी बेहतरी के लिए,
सहती है उसके बाद
तमाम तरह की समस्याएं,
कानून व प्रशासन की ज्यादतियां
और नाकामियां,
नेता, जो वोट लेता है
जनता की बेहतरी के लिए,
भोगता है उसके बाद
तमाम तरह की सुख - सुविधाएं,
कानून व प्रशासन उनका
स्वार्थ सिद्ध करने में बनते बैसाखियां,
अब बताओ जरा
लोकतंत्र में जनता पैदा होती है
नेता के लिए
या फिर नेता जनता के लिए बना?
इस देश में
जनता, जो टैक्स देती है
अपनी बेहतरी के लिए,
झेलती है उसके बाद
तमाम तरह की आर्थिक समस्याएं,
कानूनी एवं न्यायिक पेचीदगियां
और अपनी सुरक्षा सम्बन्धी चिंताएं,
सरकारें, जो टैक्स लेती हैं
जनता की बेहतरी के लिए,
सरकारों में शामिल लोग
उसी टैक्स के पैसों से
अरबों-खरबों खर्च करके जुटाते हैं
अपने लिए घूमने फिरने और
सुरक्षित रहने की सुविधाएं,
अब बताओ जरा
इस लोकतंत्र को कहा जा सकता है
जनता का जनता के हित में शासन
या फिर कर लिया है हमनें
आज के दौर का नया राजतंत्र खड़ा?
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314
Comments
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com