ekakai pal kavita by anita sharma jhasi
*एकाकी पल*
वीरानियो में भी सबक मिलते हैं।
जिन्दगी के तजुर्बे -सलीके मिलते हैं।।
वहीं शान्ति से खुद को समझूँ ।
आत्ममंथन करूँ एकान्त स्वतःमें।।
अपने में खोई हुई थी अब तक।
अब अपनेआप से मिलन हुआ।।
जी रही थी भीड़ में खोकर खुदको ।
समय के साथ -साथ चलते हुए।।
आज एकाकी पल वीरानों में ।
अद्भुत शान्ति का अहसास हुआ।।
एकान्त शून्य शान्ति विश्राम की ,
दे रही अद्भुत अदृश्य संदेश ।
है राह मगर कठिन एकाकी जीवन की ,
लेकिन भर देती अभिभूत शान्ति।
-अनिता शर्मा झाँसी---
--स्वरचित रचना --