दुनिया दिखावा पसंद है
कितना भी बड़ा और दयालू
मन हो तुम्हारा,
चाहे गुमनाम रहकर कर लो
तुम जरूरतमंदों का भला,
यश उसी का फैलेगा जगत में
जिसने जम कर किया प्रचार अपना
क्योंकि दुनिया को दिखावा पसंद है
रंग हो सांवला और नयन-नक्श
न हो अप्सरा मानिंद,
सूरत हो जरा साधारण और जिस्म
न हो सांचे में ढला,
बाकी लाख हो चाहे तुझमें अच्छे गुण
लेकिन जिस्मानी सुंदरता तुम पर
बहुत बार वरीयता पाएगी
क्योंकि दुनिया को चकाचौंध पसंद है
चाहे लिख लो तुम कुछ अच्छा
ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक,
साहित्य और शिल्प की कसौटी
पर भी खरे तुम उतर जाओ,
एक तस्वीर के साथ लगा कोई स्टेट्स
सोशल मीडिया पर तुमसे ज्यादा तवज्जो पाएगा
क्योंकि दुनिया को चेहरे पसंद हैं
रद्दी सी कहानी, फालतू एक्टिंग
होते हुए भी
फ़ूहड़ से संगीत, अश्लील संवाद
होते हुए भी
करोड़ों कमाती हैं फिल्में एक
सुपरस्टार के नाम पर
क्योंकि दुनिया को ब्रांड पसंद है
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314
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