Daya kavita by anup kumar verma

 शीर्षक - दया 

Daya kavita by anup kumar verma



दया धर्म और प्रेम का,

रखे नित हम ध्यान। 

दया हृदय में रखिए,

करे नहीं अभिमान।।

करे नहीं अभिमान, 

यही है मेरा सपना।

दया दिखाते जायेंगे,

तो यह संसार हो जायेगा अपना।।


स्वच्छ वायु सब पायेंगे, करना होगा काम। 

पेड़ो को मत काटिये, 

सुबह हो चाहे शाम।।

पेड़ो पर दया दिखाइए,

जग में होगा नाम।

जग में होगा नाम,

कहते हैं छोटा भैया। 

पेड़ होंगे, हवा होगी, 

तभी जीवन होगा भैया।। 


दया करें हम जीवो पर, 

बने रहे महान।

बिच्छू भी नहीं छोड़ता, अपना कर्म प्रधान।। 

फिर हम क्यों भूल रहे, अपना धर्म विधान।

दया सदा करते चले,

पायेंगे सम्मान।। 

पायेंगे सम्मान, 

बस करते रहें अपना काम। कहत अनूप कुमार हैं,

कर सब को प्रणाम।।


स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित


अनूप कुमार वर्मा 

कवि/लेखक/पत्रकार/समाजसेवी

बाराबंकी उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय सचिव गीत गौरव परिवार

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