बेशुमार प्यार
तुम को हम बतलाये कैसे,
बेशुमार प्यार हम करते हैं।
तुम बिन जीवन जीने का,
स्वप्न में भी न ख्याल आया।
सांसो के हर सरगम में भी,
बेशुमार प्यार हम करते हैं।
तुम्हारे आगोश में आकर ,
हम संवरने लगे हैं।
न मिलने पर कितनी तड़प,
तुमको बतलायें कैसे।
मन के अंतःकरण में सिर्फ,
तुम ही तुम बसते हो।
पाकर बेशुमार प्यार तुम्हारा,
हम निखरने लगें हैं।
--अनिता शर्मा झाँसी
---मौलिक रचना
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