बनेगा अपना देश महान
कल तक थे जो चोर-बेईमान,
वो बन गये हैं
रातों-रात ही बड़े शरीफ इंसान,
अवसरवादियों को साथ लेकर हम
चले हैं बनाने अपना देश महान।
कल तक थे जो जेलों के मेहमान,
वो बन गये हैं
रातों-रात ही कानून के निगहबान,
अपराधियों को साथ लेकर हम
चले हैं बनाने अपना देश महान।
कल तक थे जो त्याज्य पकवान,
उनसे सजते हैं
अब रोज ही हमारे दस्तरखान,
घुसपैठियों को साथ लेकर हम
चले हैं बनाने अपना देश महान।
कल तक थे जो चमचे-दरबान,
वो बन गये हैं
रातों-रात ही सिंहासन की शान,
घर-उजाड़ुओं को साथ लेकर हम
चले हैं बनाने अपना देश महान।
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति- अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314
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