सपने
दो आँख चिपका दी गई हैं
हरेक चहरे पर
पढो दस्तावेज दुनिया की
चित्रपट देखो और
सुलझाओ पहेली
दीन दुनिया की |
रोशनी हो मन साथ हो
और ऑंखें खुली हो
तो दुनिया का सफ़र संभव
आँखे बंद कर के अंधेरे में
सफ़र की कोंई भी
सीमा नहीं होती |
उस आँख को जिससे
देखते हैं रात भर सपने
रोशनी की मन की
जरूरत ही नहीं होती |
पुरानी खोल कर फ़ाइल
मन चाही कोई तस्वीर
फिर से दिखा सकती हैं
चहरे पर लगी आँखे |
सपनों वाली आँख में
यह क्षमता नहीं होती |
कहाँ है और कैसी है
कितनी बड़ी है वह आँख
अँधेरे मैं देखने की क्षमता
दी गई जिसको |
एक ही पेड़ में
दो अलग रंग के फूल | |
सपने देखने में
कोइ भी खतरा नही है
न विवाद न आस्तीन में खंजर
न दंगे न पथराओ लाठी चार्ज
न रेल को रोके बैठी हुई भीड़
न छुआ छूत न रिज़र्वेशन
न वद्रोह के नारे |
सुख शान्ति के साम्राज्य में
धीरे से उतरते स्वपन के पंछी |
स्वप्न बुनने की कला और
दक्षता प्राप्त है उस आँख को |
कहीं की ईंट कहीं का रोढा
भानमती ने कुनबा जोड़ा
इस तरह भानमती के डिब्बे से
उठाई चिंदियों से त्वरित
बुन लेती नया सपना |
सम्मोहन से भरी
वह झील सपनों की
द्रष्टा डूब जाता है |
पकड़ कर स्वप्न की उंगली
कभी निद्रित अवस्था मैं
चला जाता है मीलों तक |
सपने में जिस घटना ने
डराया था चाहे जीवन में
घटित वह हो नहीं पाई
किन्तु वैसा हो न जाए
इसी आशंका से घिरे
हम रोज़ मरते हैं |
जो होना है वह
हो कर ही रहेगा
किसी का कोई उस
पर बस नहीं चलता |
अधिकांश सपने
सच नहीं होते
मगर कोनसा सपना
सत्य का पूर्बाभास है
यह कह सकना कठिन है |
मस्तिस्क के किसी कोने में
छिपी होगी वह आँख
वैज्ञानिकों के पास भी
इसका कोइ उत्तर नहीं
श्री शिवनारायण जौहरी विमल
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