सखी कह दो"
अभिलाषा में आशा जोड़ू,
सखी कह दो मैं क्या जोड़ू।
इच्छाओं का अंबार समेटू,
या अनुरागी पथ को चुन लूँ।
आत्म की अनुभूति खोजूं,
या जीवन अनुराग भरूँ।
निश्चय का दृढ़ संकल्प भरूँ,
या निर्णय की दृढ़ता जोड़ू।
सखी कह दो मैं क्या जोड़ू ,
रिश्तों की स्नेही डाल चुनू।
या कर्तव्यों की राह चलूँ ,
इच्छाओं की चाह चुनू।
अभिलाषाओ की माला गूँथू,
या आंकाक्षाओ के ख्वाब चुनू।
जीवन के पथ पर चलते ,
सखी कह दो मैं क्या जोड़ू।
नेह,स्नेह अपनापन जोड़ू,
प्रेम भरा परिवार सजाऊँ।
रिश्तों की बारीकी चुनकर,
अपनों का सुख चैन भरूँ।
सखी कह दो मैं क्या जोड़,
रैन नेह और चाह भरूँ। ।
सखी कह दो मैं क्या जोड़ू।
इच्छाओं का अंबार समेटू,
या अनुरागी पथ को चुन लूँ।
आत्म की अनुभूति खोजूं,
या जीवन अनुराग भरूँ।
निश्चय का दृढ़ संकल्प भरूँ,
या निर्णय की दृढ़ता जोड़ू।
सखी कह दो मैं क्या जोड़ू ,
रिश्तों की स्नेही डाल चुनू।
या कर्तव्यों की राह चलूँ ,
इच्छाओं की चाह चुनू।
अभिलाषाओ की माला गूँथू,
या आंकाक्षाओ के ख्वाब चुनू।
जीवन के पथ पर चलते ,
सखी कह दो मैं क्या जोड़ू।
नेह,स्नेह अपनापन जोड़ू,
प्रेम भरा परिवार सजाऊँ।
रिश्तों की बारीकी चुनकर,
अपनों का सुख चैन भरूँ।
सखी कह दो मैं क्या जोड़,
रैन नेह और चाह भरूँ। ।
*अनिता शर्मा*
*स्वरचित रचना*
*स्वरचित रचना*
Comments
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com