kavita mujhse aa kar ke mil raha koi

कविता -मुझसे आ करके मिल रहा कोई।

kavita mujhse aa kar ke mil raha koi


मुझसे आ करके मिल रहा कोई।
ख्वाब आंखों में पल रहा कोई।

सूना सूना था सरोवर दिल का
आज सतदल है खिल रहा कोई।

तेरे आने से ऐसा लगता है
चांद छत पर उतर रहा कोई।

जबसे छाए हैं फलक पर बादल
तबसे दरिया मचल रहा कोई।

उनसे मिलने की तड़प ऐसी है
भरी बारिश में जल रहा कोई।

इन हवाओं में कुछ खुमारी है
जैसे मौसम बदल रहा कोई।

किसी "किंजल्क" से मिलने के लिए
मेरे दिल में सवंर रहा कोई।
       
                            किञ्जल्क त्रिपाठी "किञ्जल्क"
                             आजमगढ़ (उ.प्र)

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