kavita agar chahat hai kabhi kisi ke dil me bus jaane ki

 कविता 

kavita agar chahat hai kabhi kisi ke dil me bus jaane ki

अगर चाहत है कभी किसी के दिल में बस जाने की,
कभी गलती मत करना उसको आजमाने की।
अगर दिलवाले हो तो बस जाओगे उसके दिल में,
कभी कोशिश मत करना कुछ भी दिखाने की।
कितनी भी मुहब्बत हो दिल में ही छिपा के रखना,
कोई जरूरत नहीं होती उसको जताने की।
गर कुछ ख्वाहिश है दिल में तुम्हारे उस महबूब के लिए,
पूरी करना उसको जरूरत नहीं कोई बताने की।
इश्क है तुम्हें बेइंतहा तो तनहाइयों में जीना सीख लो,
ख्वाहिश ना रखना कभी उससे मिल जाने की।
चाहेगा तुम्हें तो गलतियों पर भी समझाएगा तुमको,
जरूरत नहीं किसी झूठ और बहाने की।
वह महबूब तुम्हारा कभी बदल भी तो सकता है,
उम्मीद ये भी रखना दिल के टूट जाने की।

नाम -दीपक कश्यप
पता - ग्राम व पोस्ट बनीडीह, जिला (जौनपुर)

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