जिंदगी
जिदंगी को अजीब कहा जाए या
किस्मत को अजीब कहा जाए?
लोगो से एक बात बार - बार सुनी कि,
जिदंगी दो पल की है,
उसे खुल कर जियो,
जिदंगी कीमती है उसे महसूस करो!
अब उन्हे यह बात किस प्रकार समझाए?
ये जिदंगी दो पल की भी होकर ,
एक बोझ -सी लगने लगी है।
कितने लोग आए इस जिदंगी मे,
कुछ खुशियो की बौछार-सी कर गए ,
तो कुछ गम की बारिश-सी कर गए।
ऐ खुदा अब तू ही बता ?
इस जिंदगी को अब जिया कैसे जाए?
और एक दिन जीवन के एक छोर पर फरिश्ता आया ,
जो जीवन की अहमियत समझा गया,
समझा गया वो ये कि कैसे जीया जाए,
जिदंगी है क्या? उसी ने बताया,
हर चीज़ मे खुशियाँ ढूँढना सिखाया,
खुश रहना और खुशिया बाटँना सिखाया,
ये जिंदगी कितनी हसीन है
उसी ने ही बताया,और एक दिन जब बात आई
शुक्रिया अदा करने की, जज़्बात बया करने कि,
तो वो फरिश्ता ही जिंदगी से दूर चला गया।
आज भी एक ही सवाल मन में है कि,
जिदंगी को अजीब कहा जाए या
किस्मत को अजीब कहा जाए?
दीपिका बिस्वाल
दिल्ली
धन्यवाद।
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