"बीहड़ों की बंदूक"
बीहड़ों में जब उठती हैं बंदूकें
दागी जाती हैं गोलियां
उन बंदूकों की चिंगारी के बल पर
दी जाती है अपने चूल्हों में आग
अपने और अपनों के चूल्हों में आग
बनाये रखने के लिए दागी जाती हैं गोलियां
बीहड़ों में जब उठती हैं बंदूकें
दागी जाती हैं गोलियां
दागी जाती हैं गोलियां ताकि खींचा न जाएं सीने से पल्लू
ना उछाली जाए भरे समाज में पगड़ी
ना बनाया जाए किसी को फूलन और तोमर
इसलिए दागी जाती हैं गोलियां
दागी जाती हैं गोलियां
ताकि न घुमाया जाए गाँव मे करके स्त्री को नंगा
न सहना पड़े अनचाहा किसी पुरूष का स्पर्श
न ही अंधे प्रशासन की उंगलियां सीने पर नाचे
इसलिए दागी जाती हैं गोलियां
बीहड़ों में जब उठती हैं बंदूकें...
تعليقات
إرسال تعليق
boltizindagi@gmail.com