kavita Roti mosam khan alwar rajasthan

  कविता -रोटी                    

   
kavita Roti mosam khan alwar rajasthan

                
 
कोई भागता जग में शोहरत को
कोई भागता जग में रोटी को,,
मंज़िल अलग अलग दोनों की,
लेकिन जोर लगते ऐड़ी चोटी को ।।

मै सब की भूख मिटा देती हु,,
मेरी औकात का उसको पता नही,
जाकर पूछो किसी भूखे  को,
कितना काम बड़ा है रोटी को ।।

कितना स्वार्थी है तू मानव  ,      
भागमभाग में मुझको भूल गयो,
हक ईमान आज ताक पर लगा कर
तू  खाना भूल गयों रोटी को ।।।

जब तेरे घर में तकरार हुई थी ।
तूने  मुझको  खाना छोड़ दिया,
मै  मेरी   कमी आज तुझ से पूछूं ,
कहा कसूर था रोटी को ।।।

जे तुझ से में  रूठ गई,
तेरी औकात दिखादूंगी
जिनके लिए तू आज भाग रहा,
तेरा नाम नही लेगा वो रोटी को।।।

लेकिन तुझको में नहीं भूली,
 तेरे सब करतूत माफ़ किया किया,
तेरे नसीब में हु तुझको मिल जाऊंगी,
किसी गरीब का  गला मत काटना रोटी को

सुख दुख आते जाते जग में,
आज यह निवेदन मौसम का
जो भी आता तुम्हारे दर पे,,
तुम नाम लेना उसका रोटी को।।।।।।।
                  

                स्वरचित   मौसम खान
                 अलवर ,राजस्थान 

           

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