कविता - मॉं
धन्य है ! मॉंधन्य मॉं की ममता ।
नौ मास मुझको,
रखा गर्भ के भीतर ।
जन्म दिया उपकार मुझपर किया,
तेरा ऋण न जाय चुकाया।
बिना स्वार्थ पाला मुझको,
गुरू बन दी पहली शिक्षा मुझको ।
अचरा से बांध मुझको,
दुःख की छाया से रखा दूर मुझको ।
सारा शरीर कर्ज है तेरा,
फिर भी अहम् नहीं तुझको ।
धन्य है ! माँ
धन्य मॉं की ममता ।
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