Kavita - Maa -pawan kumar yadav

 कविता - मॉं 

Kavita - Maa -pawan kumar yadav

धन्य है ! मॉं 
धन्य मॉं की ममता । 
नौ मास मुझको, 
रखा गर्भ के भीतर । 
जन्म दिया उपकार मुझपर किया, 
तेरा ऋण न जाय चुकाया। 
बिना स्वार्थ पाला मुझको, 
गुरू बन दी पहली शिक्षा मुझको ।
अचरा से बांध मुझको, 
दुःख की छाया से रखा दूर मुझको । 
सारा शरीर कर्ज है तेरा,
फिर भी अहम् नहीं तुझको । 
धन्य है ! माँ 
धन्य मॉं की ममता ‌।

-पवन कुमार यादव (जौनपुर)

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